हिंदी विभाग एवं पुरातन छात्र परिषद् द्वारा तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबगोष्ठी शुरू
मेरठ : चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी के हिंदी विभाग एवं पुरातन छात्र परिषद् द्वारा तीन दिवसीय वेब गोष्ठी का आयोजन किया गया | उद्घाटन दिवस की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एन के तनेजा ने की। इस अवसर पर प्रो तनेजा ने प्रवास का अर्थ बताते हुए उसके विविध रूपों की चर्चा की । उन्होंने कहा प्रवासी अत्यधिक उद्यमी साहसी और विकास उन्मुख होते हैं, ऐसे लोग एक स्थान से दूसरे स्थान एक राष्ट्र से दूसरे राष्ट्र की सीमाओं में जाकर बस जाते हैं। प्रवासी साहित्य के संदर्भ में उल्लेखनीय है जो शिक्षक विदेशी विश्वविद्यालयों में कार्य करने के लिए नियुक्त हो रहे हैं वह सामान्य अकादमिक की योग्यता में बहुत श्रेष्ठ हैं। यह भी अवश्यंभावी है कि उनके द्वारा रचित साहित्य की विशेष स्तर का होगा।
वेबगोष्ठी के मुख्य वक्ता प्रो आनंद वर्धन शर्मा, विजिटिंग प्रोफ़ेसर आईसीसी आर चेयर सोफिया विश्वविद्यालय, बुल्गारिया रहे। प्रो आनंद वर्धन शर्मा ने प्रवासी साहित्य में भारतीय समाज और संस्कृति पर अपने प्रवासी साहित्य पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि प्रवासी साहित्य की मुकम्मल पहचान है और आज विषय के रूप में पढ़ा जा रहा है। इसके साथ ही उन्होंने अमेरिका, इंग्लैंड और आस्ट्रेलिया के रचनाकारों के रचनाओं को साझा किया। उन्होंने भारतवंशी साहित्यकारों की भारत के लिए तड़प और उनकी संवेदनाओं को कविता के ज़रिए व्यक्त किया।
डॉ० राकेश बी० दुबे, विशेष कार्याधिकारी हिंदी भवन, नई दिल्ली ने आपने व्याख्यान विश्व में हिंदी भाषा और साहित्य का प्रसार की बात की। उन्होंने इस विषय पर बताया कि भाषा के रूप में हिंदी के विस्तार पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि प्रवासी भारतीयों के ज़रिए ही हिंदी विदेशों तक पहुँची है ।
वेबगोष्ठी के विशिष्ट वक्ता प्रो० आर० पी० भट्ट, हेम्बर्ग विश्वविद्यालय, जर्मनी ने आपने विषय हिंदी का वैश्विक संदर्भ, समस्या और संभावनाएं के बारे में बताया कि भारत में पॉलिटिकल लीडरशिप बदलने से भी फ़र्क पड़ा है।अब शीर्ष नेतृत्व यूरोप में जाकर हिंदी में बोलता है,तो प्रवासी भारतीयों और देश दुनिया के लोगों के चिंतन पर भी फ़र्क पड़ता है।
अंतरराष्टीय वेबगोष्ठी के उदघाटन के पहले दिन सभी आमंत्रित अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत प्रो० नवीन चंद्र लोहनी, अध्यक्ष हिंदी विभाग ने किया। प्रो० लोहनी ने कहा कि वैश्विक स्तर पर हिंदी भाषा और साहित्य को समझने में प्रवासी साहित्य की महत्ती भूमिका है।
तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबगोष्ठी में आज राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिभागी और वक्ता शामिल रहे। ब्रिटेन से प्रवासी साहित्यकार तेजेंद्र शर्मा, नार्वे से सुरेश शुक्ल, क्रोएशिया से ज्योति शर्मा ,बुलगारिया से मोना कौशिक ने अपने विचार रखे।
इस अवसर पर प्रोo योगेन्द्र सिंह, कला संकायाध्याक्ष , प्रोo दिविक रमेश, प्रो गुरमीत सिंह, पंजाब, विश्वविद्यालय के सम्बद्ध महाविद्यालय के शिक्षक, हिंदी विभाग के शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी जुड़े।